माई मंगेशकर सभागृह में बादल सरकार के नाटक पगला घोड़ा का मंचन किया गया। अदा रंगसमूह की यह प्रस्तुति प्रभावी रही।
Drama- Pagla Ghoda
Written by late shri Badal Sarkar
also known as Badal Sarkar, was an influential Indian dramatist and theatre directorDirected by Mrs. Unnati Vyas Sharma
Cast- Dilip Lokre as Saatu, Prasann Sharma as Shashee, Nandkishor Barve as kartik, Chetan Shah as himadree and Unnati Vyas Sharma as Mili,lakshmee,Maltee,Ladkee and aatma —
in Indore.
असफल प्रेम-कहानियों का सफल मंचन
ख्यात लेखक बादल सरकार के नाटक 'पगला घोड़ा' के मंचन में प्रेम की असफल कहानियां को संवेदनशील ढंग से बयां किया। इसकी प्रस्तुति ने दर्शकों को छू लिया। समूह के सदस्यों ने पहली बार इस नाटक में अन्य रंगकर्मियों को भी अभिनय का मौका दिया। इसका मंचन सफल रहा।
निर्देशन
निर्देशक के रूप में उन्नति शर्मा ने न केवल किरदारों के कैरेक्टराइजेशन पर ध्यान दिया बल्कि किरदारों पर उनका निर्देशकीय नियंत्रण रहा। अभिनय के साथ ही निर्देशकीय जिम्मेदारी निभाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण था जिसे उन्होंने बखूबी अंजाम दिया। लाइट्स की जिम्मेदारी प्रांजल श्रोत्रिय ने निभाई। अनीता लोकरे की वेशभूषा कथानक के अनुरूप सुघड़ थी। वेदांत लोकरे की मंच परिकल्पना ठीक रही। म्यूजिक में दिग्विजय सिंह और ध्रुव शर्मा ने बढिय़ा काम किया। अदा रंग समूह के नाटक में कलाकारों ने जीवंत अभिनय किया।
अभिनय
सातू के रूप में दिलीप लोकरे, कार्तिक बने नंदकिशोर बर्वे, शशि बाबू बने प्रसन्न शर्मा और हिमाद्रि के रूप में चैतन्य ने अपने किरदारों को अच्छे अभिनय से जीवंत किया। प्रेम की कोमलता से लेकर उसके दु:ख को उन्होंने भावाभिव्यक्ति दी। वॉइस मॉड्यूलेशन से उन्होंने चारों पात्रों के दर्द को भलीभांति अभिव्यक्त किया। उन्नति शर्मा ने मिली, मालती, लक्ष्मी और लड़की की भूमिका को उनकी विशेषताएं के मद्देनजर बखूबी अभिनीत किया। इन पांचों का अभिनय कथानक की मांग के अनुसार प्रभावी रहा।
कहानी
यह चार युवकों की कहानी है जो श्मशान घाट में युवा नायिका का शव दाह करने के लिए आए हैं। समय काटने के लिए वे शराब पीते हैं और ताश खेलते हैं। अचानक कहानी में ट्विस्ट आता है और पांचवां व्यक्ति भी शामिल हो जाता है। यह पांचवां व्यक्ति उस युवती की आत्मा है।
बातचीत में वे सभी अपने असफल प्रेम की कहानियों का जिक्र करते हैं और अपनी प्रेमिकाओं की मृत्यु को याद करके सिहर उठते हैं। नाटक श्मशान और मृत्यु की भयावहता को प्रेम की मिठास में बदल देता है। वस्तुत: पगला घोड़ा प्रेम का वह आवेग है जिसे प्रेम में सफलता से ही विराम मिलता है लेकिन यह हमेशा असफल रहता है।