बुधवार, 14 दिसंबर 2011

Drama- Maxim Gorkys- 'Semaga'






Maxim Gorky
Semaga
सेमागा जहाँ बैठा था वो पुराने शहर के बीच में एक तहखाने में बना गन्दा सा बार था .पूरे माहौल में सिगरेट की गंध के साथ एक अजीब सी बदबू छाई हुई थी .बार की छत में बीचोबीच एक ऊँचा गुम्बद था जिसमे लटके झूमर में एक पीला लट्टू जल रहा था. मद्धिम रोशनी पुरे कमरे में फैली थी. लेकिन इस रोशनी में किसी का चेहरा देख पाना मुश्किल था. जो भी लोग यहाँ बैठे थे वो अच्छी तरह से जानते थे की वे यहाँ कानून से परे है, इस कारण एक अजीब सी बेफिक्री उनके चहरे पर देखी जा सकती थी.शरद ऋतू का भयंकर तूफान थोड़ी देर पहले ही थमा था, जिसके कारण बाहर चारो और बर्फ जमा थी. ठण्ड के कारण हड्डियाँ जमा देने वाले इस मौसम का असर तहखाने के भीतर कही नजर नहीं आता था.शहर के तमाम बिगडैल यहाँ इकट्ठे थे.उनके उटपटांग गानों के शोर से सारा माहौल ही बिगड़ा हुआ था.लेकिन सेमागा इन सब बातों से बेखबर उँगलियों में दबी सिगरेट की ओर एकटक देखे जा रहा था. उसके सामने पड़ी लकड़ी की टेबल पर एक वोदका की बोतल, ग्लास और खाने के लिए कुछ भुने आलू जैसी कोई चीज पड़ी थी. अचानक तहखाने का दरवाजा भड-भडा कर खुलता है बड़ी हड़बड़ी के साथ जो व्यक्ति भीतर आया उसका नाम पेत्रोव है . देहिक भाषा से ही बहुत परेशान दिखाई देने वाले पेत्रोव ने बार में चारो ओर नजर घुमाई. कोने में बैठे सेमागा को उसने जैसे ही देखा वो तेजी से उसके पास आया और बोला
पेत्रोव - "सेमागा तुम यहाँ आराम से बैठे दारू पी रहे हो और बाहर पुलिस तुम्हे भूखे भेड़िये की तरह ढूंढ रही है "
सेमागा - "तो"
बड़ा ठंडा सा जवाब. उसके चौड़े चहरे पर घनी सलेटी रंग की दाढ़ी के बीच चमकने वाली बड़ी-बड़ी आँखों में भय का नामो-निशान भी नहीं था.
पेत्रोव -"तो? तो तुम्हे यहाँ से फ़ौरन भागना नहीं चाहिए ?"
सेमागा - 'क्यों'
पेत्रोव - "क्यों की वे तुम्हे ढूंढते हुए कभी भी यहाँ आ सकते है. मेरी बात का विश्वास करो, वो न सिर्फ पैदल चारों तरफ से इस इलाके को घेर रहे है बल्कि घोड़ों पर भी है"
सेमागा - "तुम कैसे कह सकते हो की वो मुझे ही ढूँढ रहे है ?"
पेत्रोव - "क्यों की मैंने उन्हें निकिफोरीच से तुम्हारे बारे में पूछते सुना है"
सेमागा - "क्या? निकिफोरीच पकड़ा गया ?"
पेत्रोव - "हां. उन्होंने उसे पकड़ लिया."
सेमागा - "कहाँ"
पेत्रोव - "चचिमारिया के ढाबे पर. मै भी वहां उसके साथ था, लेकिन जैसे ही पुलिस आई मै पीछे की बागड़ फांद कर किसी तरह भाग आया."
सेमागा - "ठीक है.अब घबराओ मत थोड़ी देर आराम से यहाँ बैठो."
पेत्रोव - "आराम से बैठो? क्या मतलब है तुम्हारा?"
सेमागा - "पेत्रोव मै जानता हूँ उन्हें यहाँ आने में वक्त लगेगा. सरकारी तनख्वा पर पलने वाले इतने ईमानदार नहीं हो सकते की बर्फीले तूफान में काम करे."
पेत्रोव - "ऊह... तब ठीक है. वैसे भी ऐसी सर्दी में बाहर कौन जाना चाहेगा. लेकिन सेमागा तुम इतने बेफिक्र होकर कैसे इन सब बातों से निपट लेते हो? ऐ... बारीक़ एक वोदका मेरे लिए भी.... वैसे मै तुम्हे आज तक समझ नहीं पाया. तुम कभी क्या, कभी क्या होते हो, परसों तुमने उस पुलिस वाले अलेक्झेड्रोव को इतनी बेदर्दी से नहीं मारा होता तो वे सब आज तुम्हे नहीं ढूंढ रहे होते."
सेमागा - "मैंने मारा ?... और उसने ?...उसने वसीली के साथ क्या हरकत की ? पहले उसने वसीली को ठंडी बरफ पे लिटाया, फिर उसके नाखून उखाड़े और...फिर ...फिर उसकी पेंट उतारकर....... क्यों छोडू मै उसे ?
पेत्रोव - "लेकिन तुमने भी उसके साथ कोई कम बुरा सलूक नहीं किया ...... तुमने भी उसका सर ऐसे फोड़ा जैसे नान के साथ कोई टमाटर फोड़ कर खाए"
सेमागा - "यही मेरा तरीका है पेत्रोव, भले ही वे लोग मुझे आतंकवादी गद्दार देशद्रोही कहे, मुझे उसकी परवाह नहीं. हम जैसे नहीं हो तो ये सरकारी पैसे पर पलने वाले लाट साहब गरीबों का खून चूस ले और उसे आह भी न करने दे . कहाँ जाये ऐसे अनपढ़ गरीब...... जिन्हें ये सरकारी लोग जानवर से ज्यादा कुछ नहीं समझते?..... तभी ऐसे लोग हमारे पास आते है ....और मेरे पास यदि ताकत है तो मुझे इनकी मदद करना ही चाहिए. यही अपुनी समाज सेवा का स्टाइल है.
पेत्रोव- " लेकिन सेमागा.. वे ऐसा क्यों करते है ये सोचा है कभी ? वे भी तो कुछ नियमों से बंधे है."
सेमागा- "हाँ सोचा है.पर एक बात बताओ पेत्रोव ? क्या अपने हक़ के लिए लड़ना गलत है ? वे बेचारे तो सिर्फ रोज की रोटी और थोड़ी सी ऐसी सुविधा ही चाहते है न जो जीने के लिए जरुरी है. इनकी अय्याशी में हिस्सेदारी तो नहीं मांग रहे वो लोग तब क्या गलत कर रहे है ?"

गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

Virender Sehwag
















Anything is possible for Virender Sehwag. he was out for 219, the highest individual score in Thursday at Holkar stadium in Indore. I was a witness of the highest individual score in ODI there. Cricket is a team sport,But not when Sehwag is in the mood. He smashed the highest individual one-day international score of 219 as India crushed the West Indies by 153 runs in Indore.



Sehwag's record-breaking performance led India to 5-418 in the fourth ODI and surpassed Sachin Tendulkar's mark of 200, as well as India's previous highest ODI score.Both record-breaking knocks were scored in the same Indian state - Madhya Pradesh - and it was the manner of Sehwag's innings that most impressed.



He reached the magical milestone in the 44th over before he was dismissed for 219 off 149 balls in the 47th over.



-Dilip Lokre