सोमवार, 5 अप्रैल 2010

अर्ज किया है

यूं तो फितरत नहीं कि मारे एक चींटी भी /
पर आया वक्त तो लड़ जायेंगे खुदा से भी तुम्हारे लिए/

हिंदी चर्चा

उसने तो लुटा दी सारी नेमते अपनी हमारे लिए/
और हम है कि लड़ते है एक मकां के लिए ।

रविवार, 4 अप्रैल 2010

अर्ज किया है ......


उसने तो लुटा दी सारी नेमते अपनी हमारे लिए,

एक हम है कि झगड़ते है छोटे से मकां के लिए।

अर्ज किया है....


उसने तो लुटा दी सारी नेमते 'अपनी' हमारे लिए /
एक हम है जो झगड़ते है छोटे से मकां के लिए /




















कुछ चित्र मेरे मित्र श्रीराम जोग के। यह न सिर्फ एक अच्छे अभिनेता है ,बल्कि एक बहुत अच्छे निर्देशक भी है।आप कि प्रतिक्रिया मेरे लिए मूल्यवान होगी, प्रतीक्षा में ..........

चुराई तो थी रोशनी बहुत सूरज से तुम्हारे लिए /
तेरे चेहरे के नूर से पर महफिल में अँधेरा ना हुआ।

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

उड़ा के लॆ जाती है सबा मुझे सूखे पत्ते की मानिन्द,

उड़ा के ले जाति है सबा मुझे सूखे पत्ते कि मानिंद /
और एक तुम हो, जो कहती हो कि पत्थर हम हैं .

गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

मन की बातें मन समझाए,

मन की बातें मन समझाये
मन को लेकिन समझ न आये
समझ के खुद गर मन समझाये
शायद मन को समझ में आये

मन की बातें मन समझाए,

मन की बातें मन समझाये , मन को लेकिन समझ न आये
समझ के खुद गर मन समझाये, शायद मन को समझ में आये
0 दिलीप